
देहरादून में चल रहे पांच दिवसीय युवा महोत्सव के दौरान मंगलवार को परेड ग्राउंड में स्पोर्ट्स साइंस पर एक विशेष कार्यशाला का आयोजन किया गया। इस कार्यशाला का उद्देश्य खिलाड़ियों को खेल से जुड़े विज्ञान और तकनीकी पहलुओं के बारे में जागरूक करना था, साथ ही खेल के क्षेत्र में रोजगार के अवसरों को समझाना था। इस आयोजन में खेल विशेषज्ञों के साथ-साथ युवा खिलाड़ियों, स्पोर्ट्स कॉलेज के बच्चों, और कई कोचों की भी भागीदारी रही।
कार्यशाला के मुख्य वक्ता और खेल विभाग के विशेष प्रमुख सचिव अमित सिंहा ने खिलाड़ियों को संबोधित करते हुए कहा कि खेल केवल मनोरंजन या प्रतियोगिता का माध्यम नहीं है, बल्कि यह एक ऐसा क्षेत्र है जिसमें व्यापक रोजगार संभावनाएं भी छुपी हैं। उन्होंने कहा कि युवा खिलाड़ियों को खेल के प्रति जागरूक करने के साथ-साथ उनकी प्रतिभा को निखारने के लिए इस तरह की कार्यशालाएं अत्यंत महत्वपूर्ण हैं। कार्यशाला में विशेषज्ञों ने बताया कि किस प्रकार खेल विज्ञान की मदद से खिलाड़ी अपनी क्षमता को बढ़ा सकते हैं और अपने करियर को एक नई दिशा दे सकते हैं।
कार्यशाला के दौरान खिलाड़ियों को खेल विज्ञान के विभिन्न पहलुओं से अवगत कराया गया। इनमें फिटनेस, पोषण, मनोविज्ञान, और इंजुरी प्रिवेंशन (चोट से बचाव) पर विशेष ध्यान दिया गया। विशेषज्ञों ने बताया कि एक खिलाड़ी का प्रदर्शन केवल शारीरिक शक्ति पर निर्भर नहीं करता, बल्कि मानसिक रूप से मजबूत होना और सही प्रकार का आहार लेना भी बहुत महत्वपूर्ण है। साथ ही, इंजुरी प्रिवेंशन के बारे में जानकारी देना भी आवश्यक है, ताकि खिलाड़ी अपने करियर के दौरान गंभीर चोटों से बच सकें और लंबे समय तक अपनी सर्वोत्तम क्षमता के साथ खेल सकें।
इस कार्यशाला का एक मुख्य आकर्षण यह था कि यहां खेल से जुड़े नए रोजगार विकल्पों पर भी चर्चा की गई। विशेषज्ञों ने बताया कि खेल विज्ञान का क्षेत्र अब तेजी से विकसित हो रहा है, और इसमें कोच, ट्रेनर, स्पोर्ट्स साइकोलॉजिस्ट, स्पोर्ट्स न्यूट्रीशनिस्ट, और इंजुरी मैनेजमेंट के विशेषज्ञों के लिए व्यापक संभावनाएं हैं। इसके अलावा, स्पोर्ट्स एनालिटिक्स और डेटा एनालिसिस का क्षेत्र भी तेजी से बढ़ रहा है, जिससे खिलाड़ियों के प्रदर्शन को आंकने और उसे सुधारने में मदद मिलती है।
विशेष प्रमुख सचिव अमित सिंहा ने कहा कि उत्तराखंड सरकार राज्य के खिलाड़ियों को इस तरह की कार्यशालाओं और प्रशिक्षण कार्यक्रमों के माध्यम से प्रोत्साहित करने और उनके कौशल को निखारने के लिए लगातार प्रयासरत है। उन्होंने यह भी बताया कि इस कार्यशाला में बच्चों को अपनी खेल प्रतिभा को पहचानने और उसे संवारने के अवसर प्रदान किए गए।
खेल विज्ञान का महत्व समझाते हुए, उन्होंने कहा कि अगर हम खेल को एक विज्ञान की तरह देखें और उसका अभ्यास करें, तो खिलाड़ियों का प्रदर्शन कई गुना बेहतर हो सकता है। उन्होंने युवाओं को यह संदेश भी दिया कि खेल को एक करियर विकल्प के रूप में अपनाने में कोई हिचक नहीं होनी चाहिए, क्योंकि अब खेल के क्षेत्र में रोजगार के अवसरों की कोई कमी नहीं है। आज के समय में खेल एक उभरता हुआ उद्योग है, जो विभिन्न प्रकार के रोजगार प्रदान करता है।
कार्यशाला में शामिल खिलाड़ियों ने भी अपने अनुभव साझा किए। स्पोर्ट्स कॉलेज के एक युवा खिलाड़ी ने कहा कि कार्यशाला से उन्हें खेल के तकनीकी पहलुओं को समझने में काफी मदद मिली। उन्होंने बताया कि पहले वे केवल खेल को मनोरंजन के नजरिए से देखते थे, लेकिन अब उन्हें यह समझ में आया कि खेल विज्ञान के जरिए वे अपने खेल को बेहतर बना सकते हैं और एक सफल करियर की ओर बढ़ सकते हैं।
इस कार्यशाला ने खिलाड़ियों और कोचों में एक नई ऊर्जा का संचार किया। उत्तराखंड में खेल की नई संभावनाओं को तलाशने और खिलाड़ियों को विज्ञान और तकनीकी पहलुओं से जोड़ने का यह प्रयास राज्य के खेल विकास में एक मील का पत्थर साबित हो सकता है। ऐसी कार्यशालाएं न केवल खिलाड़ियों को प्रोत्साहित करती हैं, बल्कि उनके परिवार और समाज को भी यह विश्वास दिलाती हैं कि खेल के क्षेत्र में उज्जवल भविष्य की संभावनाएं हैं।