
उत्तराखंड के पौड़ी गढ़वाल जिले में जितेंद्र सिंह की आत्महत्या का मामला तूल पकड़ता जा रहा है. आज शुक्रवार 22 अगस्त को जितेंद्र सिंह का अंतिम संस्कार किया जाना था, लेकिन परिजनों ने अंत्येष्टि करने से इंकार कर दिया. परिजनों का कहना है कि जब तक उनकी मांगें पूरी नहीं होतीं, वे अंतिम संस्कार नहीं करेंगे.परिजनों की प्रमुख मांगें हैं कि आत्महत्या के लिए जिम्मेदार बताए जा रहे आरोपी हिमांशु चमोली को फांसी की सजा दी जाए. जितेंद्र सिंह से लिए गए सभी पैसे परिवार को वापस लौटाए जाएं. जिन आरोपियों के नाम जितेंद्र ने लिए, उन पर सख्त कानूनी कार्रवाई की जाए.
बताया जा रहा है कि शुक्रवार सुबह जब शव को अंतिम संस्कार के लिए पैतृक घाट की ओर ले जाया जा रहा था, तभी जितेंद्र के परिजन और ग्रामीण शव को लेकर कीर्तिनगर पुल के पास पहुंच गए. यहां उन्होंने विरोध प्रदर्शन शुरू कर दिया और धरना देने की कोशिश की. इस दौरान पुलिस ने उन्हें रोकने का प्रयास किया, जिससे माहौल तनावपूर्ण हो गया.
जितेंद्र सिंह की अंतिम यात्रा को बिलकेदार-श्रीनगर मोटर मार्ग पर ही रोक दिया गया, जिसके चलते सड़क पर जाम की स्थिति उत्पन्न हो गई. मौके पर बड़ी संख्या में स्थानीय लोग भी इकट्ठा हो गए और परिजनों का समर्थन करने लगे. लोगों ने प्रशासन से आरोपियों के खिलाफ तत्काल कार्रवाई करने की मांग की. इस विरोध में उत्तराखंड क्रांति दल (यूकेडी) के कार्यकर्ता और आसपास के ग्रामीण भी शामिल हो गए.
मृतक जितेंद्र सिंह के भाई नरेंद्र का कहना है कि जब तक उन्हें न्याय का भरोसा नहीं मिलता, आंदोलन जारी रहेगा. उन्होंने कहा कि अंकिता भंडारी के मामले में ऐसा ही हुआ था. कहा कि जब तक उन्हें लिखित में और प्रदेश के मुख्यमंत्री की ओर से आश्वासन नहीं मिलता, तब तक वह अपने भाई के शव की अंत्येष्टि नहीं करेंगे.
जितेंद्र सिंह का एक घर देहरादून के भानियावाला में भी है, जहां पर उसकी पत्नी और परिवार रहता है. हिमांशु चौहान उत्तराखंड भारतीय जनता युवा मोर्चा (BJYM) का प्रदेश मंत्री था. इस घटना के बाद पार्टी ने उसे तत्काल पद से मुक्त कर दिया था.