
उत्तराखंड में बच्चों की स्वास्थ्य सुरक्षा को लेकर औषधि विभाग का अभियान लगातार जारी है. औषधि विभाग ने बच्चों की सुरक्षा को सर्वोच्च प्राथमिकता देते हुए प्रदेश के सभी जिलों में छापेमारी के सिलसिले को तेज कर दिया है. प्रदेशभर में कफ सिरप की गुणवत्ता और उसकी वैधानिकता की जांच के लिए मेडिकल स्टोर्स, होलसेल डिपो, फार्मा इंडस्ट्री और बच्चों के अस्पतालों पर औचक निरीक्षण लगातार जारी हैं.
देहरादून, ऋषिकेश, हल्द्वानी, अल्मोड़ा और बागेश्वर समेत बड़े शहरों और जिलों में औषधि निरीक्षकों की टीम औचक निरीक्षण अभियान चला रही हैं. अब तक 350 से अधिक सैंपल लिए जा चुके हैं, जबकि एक दर्जन से अधिक मेडिकल स्टोर्स के लाइसेंस निरस्त किए जा चुके हैं. कई मेडिकल स्टोर्स को कड़ी चेतावनी दी गई है. स्वास्थ्य विभाग ने प्रदेश के सभी बाल चिकित्सकों से अपील की है कि दो साल से कम उम्र के बच्चों को किसी भी स्थिति में प्रतिबंधित सिरप न लिखें. इस पूरे अभियान की मॉनिटरिंग खुद खाद्य सुरक्षा एवं औषधि प्रशासन के आयुक्त आर राजेश कुमार कर रहे हैं.
अभियान का नेतृत्व अपर आयुक्त (एफडीए) ताजबर सिंह जग्गी कर रहे हैं, जिनके दिशा-निर्देश में राज्यभर की औषधि निरीक्षक टीमें सक्रिय हैं. विभाग ने चेतावनी दी है कि नियमों का उल्लंघन करने वालों पर कड़ी कानूनी कार्रवाई की जाएगी. बच्चों की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए औषधि विभाग ने देहरादून शहर भर में औचक निरीक्षण अभियान चलाया. औषधि निरीक्षक मानेंद्र सिंह राणा के नेतृत्व में टीम ने पलटन बाजार, घंटाघर, ऋषिकेश रोड, जौलीग्रांट, अजबपुर और नेहरू कॉलोनी क्षेत्रों में मेडिकल स्टोर्स और थोक विक्रेताओं की जांच की.
केंद्र सरकार की एडवाइजरी के मुख्य बिंदु
- दो साल से कम आयु के बच्चों को बिना डॉक्टर की सलाह के किसी भी प्रकार की खांसी या जुकाम की दवा नहीं दी जानी चाहिए
- पांच वर्ष से कम आयु के बच्चों में इन दवाओं का सामान्य उपयोग ठीक नहीं है
- केवल विशेषज्ञ चिकित्सक की सलाह, सही खुराक और न्यूनतम अवधि के लिए ही इनका उपयोग किया जा सकता है
- सरकार ने विशेष रूप से Dextromethorphan युक्त सिरप और Chlorpheniramine Maleate + Phenylephrine Hydrochloride संयोजन वाली दवाओं को चार वर्ष से कम उम्र के बच्चों के लिए प्रतिबंधित किया है.