
बुधवार को केंद्रीय रेल मंत्री श्री अश्विनी वैष्णव ने लोकसभा में नैनीताल के सांसद श्री अजय भट्ट द्वारा पिछले तीन वर्षों और चालू वर्ष के दौरान नई रेलवे परियोजनाओं के लिए उत्तराखंड को आवंटित कुल धनराशि के संबंध में पूछे गए तारांकित प्रश्न का उत्तर दिया।
उत्तर में केंद्रीय रेल मंत्री ने बताया कि रेलवे परियोजनाओं का सर्वेक्षण/स्वीकृत/निष्पादन क्षेत्रवार किया जाता है, न कि राज्यवार, क्योंकि रेलवे की परियोजनाएँ राज्य की सीमाओं से परे भी हो सकती हैं। उन्होंने आगे कहा कि उत्तराखंड में पूर्णतः/आंशिक रूप से आने वाली नई लाइन परियोजनाएँ भारतीय रेलवे के उत्तर रेलवे (एनआर) और पूर्वोत्तर रेलवे (एनईआर) क्षेत्रों के अंतर्गत आती हैं।
केंद्रीय रेल मंत्री ने अपने उत्तर में बताया कि 01 अप्रैल 2025 तक, उत्तराखंड राज्य में पूर्णतः/आंशिक रूप से आने वाली 40,384 करोड़ रुपये की लागत से कुल 216 किलोमीटर लंबाई की 03 नई लाइनें स्वीकृत हैं, जिनमें से 16 किलोमीटर लंबाई चालू हो चुकी है और मार्च 2025 तक 19,898 करोड़ रुपये खर्च किए जा चुके हैं।
ऋषिकेश-कर्णप्रयाग नई रेल लाइन परियोजना की 125 किलोमीटर लंबाई के बारे में जानकारी देते हुए केंद्रीय मंत्री ने कहा कि यह भारतीय रेलवे की एक प्रतिष्ठित परियोजना है जो पूरी तरह से उत्तराखंड राज्य में स्थित है। यह हिमालय के दुर्गम भूगर्भीय और चुनौतीपूर्ण भूभाग से होकर गुजरती है। इस परियोजना का उद्देश्य उत्तराखंड में कनेक्टिविटी में बदलाव लाना है। यह परियोजना देवप्रयाग और कर्णप्रयाग जैसे धार्मिक और पर्यटन स्थलों को ऋषिकेश और भारत की राष्ट्रीय राजधानी से रेल संपर्क प्रदान करेगी।
यह प्रतिष्ठित परियोजना मुख्यतः सुरंगों से होकर गुजरती है। इस परियोजना में 105 किलोमीटर लंबी 16 मुख्य लाइन सुरंगों और लगभग 98 किलोमीटर लंबी 12 एस्केप सुरंगों का निर्माण शामिल है। उन्होंने बताया कि अब तक 13 मुख्य लाइन सुरंगें और 9 एस्केप सुरंगें पूरी हो चुकी हैं। कार्यों की प्रगति बढ़ाने के लिए, विभिन्न सुरंगों में 8 एडिट की भी पहचान की गई है। इन एडिट ने सुरंग खुदाई के अतिरिक्त कार्यक्षेत्रों का निर्माण किया है जिससे लंबी सुरंगों के शीघ्र पूरा होने में तेजी आई है। सभी 8 एडिट का कार्य भी पूरा हो चुका है। श्री अश्विनी ने सदन को बताया कि कुल 213 किलोमीटर के दायरे में से 199 किलोमीटर सुरंग खोदने का कार्य पूरा हो चुका है। उन्होंने कहा कि भारतीय रेलवे में पहली बार, हिमालयी भूविज्ञान में सबसे लंबी सुरंग (टी-8), जो 14.8 किलोमीटर लंबी है, के कार्य को तेजी से पूरा करने के लिए टनल बोरिंग मशीन (टीबीएम) का उपयोग किया गया। टीबीएम के माध्यम से इस सुरंग का निर्माण कार्य सफलतापूर्वक पूरा कर लिया गया है। पारिस्थितिकी और आसपास के वातावरण को न्यूनतम नुकसान सुनिश्चित करने के लिए सुरंग खोदने का कार्य सभी सावधानियों और नवीनतम तकनीकों के साथ किया जा रहा है।
केंद्रीय मंत्री श्री अश्विनी वासिह्नव ने उत्तर दिया कि पिछले तीन वर्षों अर्थात 2022-23, 2023-24, 2024-25 और वर्तमान वित्त वर्ष 2025-26 के दौरान, उत्तराखंड राज्य में पूर्णतः/आंशिक रूप से पड़ने वाले कुल 146 किलोमीटर लंबाई के 03 सर्वेक्षण (02 नई लाइन और 01 दोहरीकरण) स्वीकृत किए गए हैं।