
उत्तराखंड के पुलिस विभाग मे तैनात एक महिला चतुर्थ पुलिस कर्मचारी ने राष्ट्रपति को पत्र लिखकर खुद और अपने नाबालिग बेटे के लिए इच्छा मृत्यु की अनुमति मांगी है. पत्र में उन्होंने गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि विभाग में सीओ पद पर तैनात एक अधिकारी ने उनके साथ कई बार शोषण किया, जिसकी शिकायत करने पर उन्हें ही झूठे मामलों में फंसा दिया गया और उल्टा पीड़िता को ही जेल भेजा गया.
महिला का कहना है कि उनका बेटा, जो किशोरावस्था में है, रोज़ देखता है कि उसकी मां को न्याय नहीं मिल रहा और वह भी अब जीने की इच्छा नहीं रखता. महिला ने मांग की है कि या तो उनकी शिकायतों पर निष्पक्ष न्यायिक जांच हो और आरोपियों के खिलाफ कार्रवाई की जाए या फिर उन्हें और उनके बेटे को गरिमा के साथ मृत्यु का अधिकार दिया जाए.
इस पूरे घटनाक्रम ने न केवल पुलिस महकमे को कठघरे में खड़ा किया है, बल्कि यह भी सवाल उठाता है कि एक महिला कर्मचारी को न्याय पाने के लिए आत्महत्या की कगार पर क्यों पहुंचना पड़ा.
आपको बता दें कि महिला चतुर्थ श्रेणी में पुलिस विभाग में तैनात हैं और बीते कुछ समय पहले एक सीओ दंपति के अधिकारियों ने महिला के खिलाफ बसंत विहार थाने में ब्लैकमेलिंग का शिकायत पत्र दिया था, जिसमे लिखा था कि महिला उसके पति को ब्लैकमेल कर रही है जो खुद भी सीओ रेंक के अधिकारी है, ये वहीं अधिकारी हैं जिनपर महिला ने दुष्कर्म का आरोप लगाया था. जिस शिकायत पर पुलिस ने महिला को जेल भेज दिया था. वहीं महिला जैसे ही जेल से पेरोल पर बहार निकली, तो अब महिला ने राष्ट्रपति से इच्छा मृत्यु की गुहार लगाई