अब केवल हिरासत नहीं मुकदमा दर्ज कर हो सकेगी गिरफ्तारी – Doon Ujala

ऑपरेशन कालनेमि के तहत प्रदेश में फर्जी बाबाओं और धार्मिक वेश धारण कर लोगों से ठगी करने वालों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई जारी है। ऑपरेशन कालनेमि के तहत पकड़े गए लोगों पर अब विभिन्न कानूनों में मुकदमे दर्ज होंगे। अभी तक पुलिस ज्यादातर मामलों में छद्म वेशधारियों को केवल शांतिभंग करने के आरोप में हिरासत में लेती थी मगर अब उनकी गिरफ्तारी भी हो सकेगी।

इसके लिए अपराधों का वर्गीकरण करते हुए गृह विभाग ने पुलिस को दिशा निर्देश जारी किए हैं। इसके संबंध में पुलिस के माध्यम से प्रचार प्रसार करने के लिए भी गृह विभाग ने निर्देशित किया है। गौरतलब है कि पहचान छिपाकर लोगों को धोखा दे रहे लोगों की धरपकड़ के लिए मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के निर्देश पर ऑपरेशन कालनेमि शुरू किया था।

इसके लिए अपराधों का वर्गीकरण करते हुए गृह विभाग ने पुलिस को दिशा निर्देश जारी किए हैं। इसके संबंध में पुलिस के माध्यम से प्रचार प्रसार करने के लिए भी गृह विभाग ने निर्देशित किया है। गौरतलब है कि पहचान छिपाकर लोगों को धोखा दे रहे लोगों की धरपकड़ के लिए मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के निर्देश पर ऑपरेशन कालनेमि शुरू किया था।

इसमें साधु वेशधारियों पर बड़े पैमाने पर कार्रवाई की गई। इस कार्रवाई में ऐसे लोग भी सामने आए जो विभिन्न तरीकों से लोगों को भ्रम में डालकर उनका आर्थिक और शारीरिक नुकसान भी कर रहे हैं। इनमें अपहरण, दुष्कर्म, चमत्कारिक उपचार, साइबर अपराध, विवाह के लिए छल आदि मामले भी शामिल हैं। गृह सचिव शैलेश बगौली ने इन लोगों के खिलाफ कठोर कार्रवाई करने के निर्देश दिए हैं।

उन्होंने लोगों को इन अपराधों की जागरूकता के लिए अभियान चलाने को भी कहा है। इसके लिए सोशल मीडिया पर प्रचार प्रसार करने के निर्देश दिए गए ताकि लोगों को छद्म वेशधारियों के जाल में फंसने से बचाया जा सके। गृह सचिव ने ऑपरेशन कालनेमि के प्रभावी रूप से क्रियान्वयन के लिए मुख्यालय स्तर पर हर दिन इसकी एक रिपोर्ट तैयार करने के लिए कहा है। इस रिपोर्ट को नियमानुसार प्रत्येक दिन शासन को भी उपलब्ध कराया जाए।

अपराध की प्रकृति और कानून जिसमें होनी है कार्रवाई

  • छद्म पहचान बनाकर धोखे की मंशा से धार्मिक वेशभूषा पहनकर लोगों को भ्रमित करना – बीएनएस की धाराओं में।
  • किसी औषधि व उसके चमत्कारिक उपचार के संबंध में भ्रामक जानकारी देना – औषधि व चमत्कारिक (आक्षेपणीय विज्ञापन) अधिनियम-1954।
  • विज्ञापनों के माध्यम से अपराध – बीएनएस की धाराओं में।
  • इलेक्ट्रॉनिक, साइबर धोखाधड़ी, फर्जी सोशल मीडिया प्रोफाइल – बीएनएस व आईटी एक्ट।
  • जाली चित्रों को सोशल मीडिया पर प्रकाशित करने की धमकी – बीएनएस व आईटी एक्ट।
  • फर्जी दस्तावेज के आधार पर देश में निवास कर रहे विदेशी नागरिक – बीएनएस व विदेशियों विषयक अधिनियम-1946।
  • फर्जी पहचानपत्र बनाना, झूठे कथन करना – बीएनएस की धाराओं में।
  • जाली दस्तावेज के आधार पर सरकारी योजनाओं का लाभ लेना – बीएनएस की धाराओं में।




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