
उत्तराखंड में एक बार फिर से विधायक अपने अपने क्षेत्रों से निकल कर देहरादून दिल्ली की दौड़ में लगे हैं. एक बार से देहरादून आकर कुछ विधायकों के चेहरे के हाव भाव बदले बदले से लग रहे हैं. मेल मुलाकातों के दौर के साथ सियासी दौड़ उत्तराखंड की राजनीति में एक बार फिर कैबिनेट विस्तार की चर्चाओं को बल दे रही है. वहीं, राज्य में कुछ बड़े होने की दूसरी चर्चा भी जोरों पर है.
इन सभी चर्चाओं का आलम ऐसा है कि राजधानी देहरादून से लेकर दिल्ली तक सियासी गलियारे गहमागहमी से भरे पड़े हैं. रोजाना कई विधायक मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी से मुलाकात कर रहे हैं. कुछ ने सीधे केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के साथ फोटो खिंचवा कर ये दिखा रहे हैं कि उनकी पहुंच सीधे दिल्ली दरबार में है. इन मुलाकातों को लेकर अटकलों का बाजार गर्म है. कुछ लोग इसे कैबिनेट विस्तार से जोड़ रहे हैं तो कुछ इसे विधायकों की नाराजगी भर मान रहे हैं.
उत्तराखंड में कैबिनेट विस्तार की चर्चा कोई नई बात नहीं है. जिस तरह हर साल मानसून आता है वैसे ही यहां समय-समय पर कैबिनेट विस्तार के बादल उमड़ते-घुमड़ते रहते हैं. दिलचस्प ये है कि जैसे कई बार बादल गरजते तो खूब हैं लेकिन बरसते कम हैं, वैसे ही कैबिनेट विस्तार की चर्चा भी अधिकतर खबरों की हेडलाइन बनकर ही रह जाती है. फिर अगली चर्चा के इंतजार में सभी विधायक रह जाते है. बीते सालों पर नजर डालें तो धामी सरकार बनने के बाद से ही कई बार कैबिनेट विस्तार की संभावनाएं जता चुकी है. 2022 विधानसभा चुनाव के बाद धामी जब दूसरी बार सीएम बने तब कहा गया कि जल्द ही कैबिनेट विस्तार होगा.
जिससे सभी क्षेत्रों और जातीय समीकरणों को साधा जा सके. 2023 में भी चर्चा उठी कि लोकसभा चुनाव से पहले कुछ नए चेहरे कैबिनेट में शामिल किए जाएंगे. जिससे पार्टी का जनाधार मजबूत हो, लेकिन, इस बार भी नेताओं को इंतजार बरकरार रहा. अब एक बार फिर से ऐसी ही चर्चाएं सियासी गलियारों में तैर रही है. मेल मुलाकातों के दौर को इसी से जोड़ा जा रहा है.
बीजपी प्रदेश अध्यक्ष महेंद्र भट्ट की मानें तो अगर विधायक अपने सीएम से नहीं मिलेगा तो किनसे मिलेगा? राज्य में आपदा है, हजार काम होते हैं, स्वाभाविक है कि विधायकों को सीएम से मिलना चाहिए. रही बात कैबिनेट विस्तार की तो जब कैबिनेट विस्तार होगा तो सभी को मालूम हो जायेगा. उन्होंने कहा हम इस दिशा में कदम आगे बढ़ा रहे है. विधायक दिलीप रावत सीएम से मुलाकात पर उन्होंने कहा ये सामान्य मुलाकात थी. वहीं, हरिद्वार से विधायक मदन कौशिक हो या फिर लालकुआं विधाधनसभा क्षेत्र से विधायक मोहन सिंह बिष्ट ने भी सीएम से मुलाकात की. जिसके बाद इनके चर्चे भी आम हैं.
उत्तराखंड में देखा जाये तो फिलहाल भाजपा नेतृत्व हमेशा की तरह रटी रटाई बातें बोल रहा है. जिसमें भी विधायक विधायक संदेश ढूंढ रहे हैं. कुल मिलाकर उत्तराखंड की राजनीति में इस वक्त वही पुराना दृश्य है. मानसून की तरह कैबिनेट विस्तार की चर्चाएं आई हैं. विधायक उम्मीदों की छतरियां लेकर दौड़ रहे हैं. जनता सोच रही है कि आखिर ये दौड़ कब खत्म होगी?