
उत्तराखंड की पवित्र चारधाम यात्रा अब अपने समापन की ओर बढ़ रही है। केदारनाथ धाम की दूसरे चरण की तीर्थयात्रा ने रफ्तार पकड़ ली है। प्रतिदिन 10 हजार से अधिक तीर्थयात्री केदारनाथ के दर्शन कर पुण्य अर्जित कर रहे हैं। अभी तक 17 लाख से अधिक तीर्थयात्री केदारनाथ के दर्शन कर चुके हैं। अधिकांश तीर्थयात्री जत्थे के साथ यात्रा पर पहुंच रहे हैं।
इस साल भी चारधाम यात्रा के दौरान कई श्रद्धालुओं ने अपनी जान भी गंवाई हैं. ज्यादातर मौतें स्वास्थ्य संबंधी परेशानियों हृदयाघात और ऊंचाई से जुड़ी दिक्कतों के चलते हुई हैं। हालांकि, राहत की बात ये है कि पिछले साल यानी 2024 में जहां कुल 246 श्रद्धालुओं की मौत दर्ज की गई थी। वहीं, इस साल यह संख्या घटकर लगभग 189 पर आ गई।
चारधाम यात्रा के दौरान इस साल भी सबसे ज्यादा मौतें केदारनाथ धाम में हुई हैं। करीब 11,755 फीट की ऊंचाई पर स्थित केदारनाथ तक पहुंचने के लिए श्रद्धालुओं को लगभग 18 किलोमीटर की कठिन चढ़ाई तय करनी पड़ती है। कई श्रद्धालु बिना स्वास्थ्य जांच के इस चढ़ाई पर निकल पड़ते हैं, जिसके चलते उन्हें ऊंचाई पर सांस लेने में तकलीफ, हृदय की धड़कन तेज होने और थकावट जैसी समस्याएं घेर लेती हैं।
स्वास्थ्य सचिव आर राजेश कुमार भी मानते हैं कि ज्यादा समस्या केदारनाथ में हृदय गति रुकने की वजह से होती है। उम्रदराज लोग सबसे ज्यादा प्रभावित होते हैं। ज्यादातर मौत के कारणों में हृदयाघात, लो ब्लड प्रेशर, ऑक्सीजन की कमी और स्ट्रोक आदि शामिल हैं। जो इन ऊंचे इलाकों में बहुत आम हैं। कई बार श्रद्धालु तीर्थ यात्रा को केवल धार्मिक आस्था का विषय मानकर शरीर की सीमाओं को नजरअंदाज कर देते हैं, जो घातक साबित होता है।