
देहरादून, 12 अक्टूबर: देहरादून में शनिवार को विजयदशमी पर्व बड़े ही हर्षोल्लास और धूमधाम के साथ मनाया गया। हर साल की तरह इस बार भी रावण दहन के लिए कई स्थानों पर भव्य आयोजन किए गए। शहर के प्रमुख इलाकों जैसे रेस कोर्स, बन्नू स्कूल, हिंदू नेशनल इंटर कॉलेज, प्रेम नगर, पटेल नगर सहित छह से अधिक स्थानों पर रावण दहन के कार्यक्रम आयोजित किए गए। लेकिन, सबसे भव्य और ऐतिहासिक आयोजन देहरादून के परेड ग्राउंड में दशहरा कमेटी बन्नू बिरादरी द्वारा किया गया।
परेड ग्राउंड में रावण दहन का मुख्य आयोजन
परेड ग्राउंड में आयोजित इस ऐतिहासिक कार्यक्रम में राज्य के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित थे। इसके अलावा, शहर के कई गणमान्य व्यक्तियों और अधिकारियों ने भी इस आयोजन में शिरकत की। परेड ग्राउंड में रावण दहन से पहले एक भव्य शोभायात्रा निकाली गई, जो कालिका माता मंदिर से शुरू होकर शहर के विभिन्न हिस्सों से होते हुए परेड ग्राउंड तक पहुंची। शोभायात्रा में भगवान श्रीराम, लक्ष्मण, सीता और हनुमान की जीवंत झांकियों ने सभी का ध्यान आकर्षित किया, जिसमें हनुमान विशेष रूप से आकर्षण का केंद्र रहे।
दशहरा मेला और आतिशबाजी का लुत्फ उठाने उमड़ी भारी भीड़
परेड ग्राउंड में दशहरा मेला भी लगाया गया था, जहां बच्चों और बड़ों ने जमकर खरीदारी की और खेल-खिलौनों का आनंद उठाया। रावण दहन के साथ ही इस मेले ने सभी को अपनी ओर खींचा। भारी संख्या में लोग परेड ग्राउंड में जुटे और उत्साहपूर्वक आतिशबाजी का आनंद लिया। जब तेज़ धमाकों के साथ लंका का दहन किया गया, तो चारों ओर तालियों की गूंज सुनाई दी। इसके बाद क्रमशः कुम्भकर्ण और मेघनाद के पुतलों को आग के हवाले किया गया। अंत में, हजारों लोगों की उपस्थिति में अहंकार का प्रतीक रावण धूं-धूं कर जल उठा। इस दौरान बच्चों से लेकर बुजुर्गों तक सभी ने बड़े उत्साह के साथ विजयदशमी का पर्व मनाया।
मुख्यमंत्री का संदेश: बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है विजयदशमी
रावण दहन के अवसर पर उपस्थित मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने अपने संबोधन में विजयदशमी को बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक बताया। उन्होंने कहा, “मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्रीराम के आदर्शों का अनुसरण करते हुए हमें अपने जीवन में सच्चाई, धर्म, और मर्यादा का पालन करना चाहिए। यह पर्व हमें सिखाता है कि हमें अपने भीतर के अहंकार को त्याग कर सच्चाई के मार्ग पर चलना चाहिए, ताकि हम समाज और देश की प्रगति में अपना योगदान दे सकें।”
मुख्यमंत्री ने यह भी कहा कि उत्तराखंड, जिसे देवभूमि के नाम से जाना जाता है, रामायण के इतिहास से गहराई से जुड़ा हुआ है। उन्होंने बताया, “जब भगवान लक्ष्मण जी मूर्छित हो गए थे, तो हनुमान जी ने उत्तराखंड के द्रोणाचल पर्वत से संजीवनी बूटी लाकर उन्हें जीवनदान दिया था। यह घटना उत्तराखंड की पवित्रता और ऐतिहासिक महत्व को दर्शाती है।”
समाज में बुराई के खिलाफ संघर्ष का आह्वान
मुख्यमंत्री धामी ने समाज में फैली कुरीतियों और बुराइयों की भी चर्चा की। उन्होंने कहा कि “हमें समाज में व्याप्त कुरीतियों, जैसे लव जिहाद, मजार जिहाद और थूक जिहाद के खिलाफ सजग रहना होगा। उत्तराखंड की धरती पर इन बुराइयों के लिए कोई स्थान नहीं है। देवभूमि की पवित्रता को बनाए रखना हमारी जिम्मेदारी है।”
उन्होंने युवाओं से अपील की कि वे भगवान राम के आदर्शों का पालन करते हुए समाज में सकारात्मक बदलाव लाने का प्रयास करें और बुराई के खिलाफ संघर्ष में हमेशा आगे रहें।
पारंपरिक कला और संस्कृति का प्रदर्शन
इस मौके पर आयोजित शोभायात्रा और मेले ने देहरादून की समृद्ध सांस्कृतिक धरोहर को भी प्रदर्शित किया। शोभायात्रा के दौरान कलाकारों ने रामायण के विभिन्न प्रसंगों का जीवंत प्रदर्शन किया। विशेष रूप से हनुमान का रूप धारण किए कलाकार ने अपने अद्वितीय प्रदर्शन से सभी का दिल जीत लिया। इसके अलावा, मेला परिसर में हस्तशिल्प, पारंपरिक व्यंजन और लोकगीतों ने भी लोगों का खूब मनोरंजन किया।
दशहरे का संदेश: बुराई का अंत और सच्चाई की जीत
विजयदशमी का यह महोत्सव न केवल धार्मिक आयोजन था, बल्कि यह समाज को एक महत्वपूर्ण संदेश भी देता है। रावण, जो कि अहंकार, अधर्म, और अन्याय का प्रतीक माना जाता है, का दहन यह संदेश देता है कि कोई भी व्यक्ति कितना भी शक्तिशाली क्यों न हो, उसे अंततः बुराई और अधर्म का परित्याग करना ही होता है।
परेड ग्राउंड में रावण दहन के बाद उमड़ी भीड़ ने इस बात को साबित कर दिया कि यह पर्व आज भी समाज में बहुत महत्व रखता है। लोगों ने इसे न केवल एक धार्मिक उत्सव के रूप में देखा, बल्कि इसे सच्चाई, धर्म, और नैतिकता के पक्ष में खड़े होने की प्रेरणा के रूप में भी लिया।
इस साल का विजयदशमी उत्सव भी उसी जोश और उमंग के साथ संपन्न हुआ, जैसा कि हर साल देहरादून में देखने को मिलता है।