
देहरादून में सरकारी कार्यालयों में काम की सुस्त रफ्तार और कर्मचारियों की मनमानी का मामला एक बार फिर सुर्खियों में आ गया है। जिलाधिकारी के निर्देश पर आज एसडीएम सदर ने कृषि उत्पादन मंडी परिषद कार्यालय का औचक निरीक्षण किया, जिसमें बड़े पैमाने पर लापरवाही और कर्मचारियों की गैरमौजूदगी सामने आई। इस निरीक्षण के दौरान केवल एक कर्मचारी, प्रदीप कुमार पर्यवेक्षक, ही कार्यालय में उपस्थित पाए गए, जबकि कुल 19 कर्मचारी, जिसमें अधिकारी भी शामिल हैं, अनुपस्थित मिले। इस लापरवाही पर सख्त रुख अपनाते हुए एसडीएम ने अनुपस्थित कर्मचारियों का वेतन रोकने की सिफारिश करते हुए इसकी रिपोर्ट जिलाधिकारी को भेजी है।
मीडिया से बात करते हुए जिलाधिकारी ने बताया कि कृषि उत्पादन मंडी परिषद कार्यालय में अव्यवस्था की शिकायतें लगातार मिल रही थीं। उन्होंने कहा कि यह कार्यालय आम जनता से जुड़े कई अहम कार्यों का जिम्मेदार है, लेकिन कर्मचारियों और अधिकारियों की लापरवाही के कारण यहां कामकाज बुरी तरह प्रभावित हो रहा था। उन्होंने कहा कि नागरिकों की शिकायतें भी लगातार मिल रही थीं, जिनमें कार्यालय के कर्मचारियों की गैर-जिम्मेदाराना हरकतों और मनमानी की बात सामने आई थी। इन शिकायतों के आधार पर एसडीएम को निरीक्षण के लिए भेजा गया, जिसमें सभी खामियां सामने आ गईं।
निरीक्षण के दौरान यह भी पाया गया कि कार्यालय की स्थिति बेहद खराब थी, और वहां जनता की सुविधा के लिए जरूरी संसाधनों की भी कमी थी। एसडीएम ने निरीक्षण के बाद कहा कि इस प्रकार की अव्यवस्था और कर्मचारियों की गैरमौजूदगी के चलते कार्य की गुणवत्ता पर सीधा असर पड़ता है और इससे जनता को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है। उन्होंने कहा कि ऐसी लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी और दोषी कर्मचारियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी।
जिलाधिकारी ने यह भी स्पष्ट किया कि कृषि उत्पादन मंडी परिषद एक महत्वपूर्ण विभाग है, जो किसानों और स्थानीय व्यापारियों के लिए कई महत्वपूर्ण सेवाएं प्रदान करता है। यहां पर हर दिन बड़ी संख्या में लोग अपने कामकाज के सिलसिले में आते हैं, लेकिन कर्मचारियों की अनुपस्थिति के चलते उन्हें परेशानी का सामना करना पड़ता है। उन्होंने कहा कि भविष्य में भी ऐसे औचक निरीक्षण किए जाएंगे ताकि कार्यालयों में कामकाज सुचारू रूप से चल सके और जनता को समय पर सेवाएं प्राप्त हो सकें।
इस तरह की लापरवाही और गैर-हाजिरी को रोकने के लिए जिलाधिकारी ने संकेत दिया कि वेतन रोकने जैसे कठोर कदम उठाए जाएंगे और भविष्य में भी यदि ऐसी घटनाएं दोहराई गईं, तो संबंधित कर्मचारियों के खिलाफ कठोर कार्रवाई सुनिश्चित की जाएगी। उन्होंने कहा कि सरकारी कर्मचारी जनता के प्रति जवाबदेह हैं और उन्हें अपनी जिम्मेदारी पूरी निष्ठा से निभानी चाहिए। उन्होंने चेतावनी देते हुए कहा कि यदि आगे भी ऐसी शिकायतें मिलती हैं, तो संबंधित कर्मचारियों को खामियाजा भुगतना पड़ेगा और उनके खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाएगी।
सरकारी कार्यालयों में कामकाज की गुणवत्ता बनाए रखने के लिए जिलाधिकारी द्वारा की गई इस सख्ती से उम्मीद की जा रही है कि अन्य सरकारी कार्यालय भी समयबद्धता और जवाबदेही को गंभीरता से लेंगे।