

केदारनाथ विधानसभा में शांतिपूर्ण मतदान जारी

देहरादून: केदारनाथ विधानसभा क्षेत्र में आज लोकतंत्र के महापर्व का आयोजन हो रहा है। यहां शांतिपूर्ण तरीके से मतदान प्रक्रिया जारी है। सुबह से ही मतदान केंद्रों पर मतदाताओं की अच्छी खासी भीड़ देखी गई। इस चुनाव में कुल 6 प्रत्याशी मैदान में हैं, जिनके भाग्य का फैसला क्षेत्र के 90 हजार से ज्यादा मतदाता करेंगे।
पहले घंटे में 5.33 प्रतिशत मतदान
सुबह 8 बजे मतदान शुरू होते ही मतदाताओं में उत्साह नजर आया। पहले घंटे में ही 5.33 प्रतिशत मतदाताओं ने अपने मताधिकार का प्रयोग किया। अधिकारियों ने उम्मीद जताई है कि दिन चढ़ने के साथ-साथ मतदान प्रतिशत में इजाफा होगा। स्थानीय लोग भी बड़ी संख्या में मतदान करने के लिए प्रेरित हो रहे हैं।
173 बूथों पर मतदान की व्यवस्था
केदारनाथ विधानसभा क्षेत्र में कुल 173 मतदान केंद्र बनाए गए हैं। हर केंद्र पर चुनाव आयोग ने मतदाताओं के लिए आवश्यक सुविधाओं का प्रबंध किया है। बूथों पर पेयजल, छाया और रैंप की व्यवस्था सुनिश्चित की गई है ताकि सभी मतदाता, विशेषकर बुजुर्ग और दिव्यांगजन, बिना किसी कठिनाई के अपने मत का उपयोग कर सकें।
सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम
चुनाव को निष्पक्ष और सुरक्षित बनाने के लिए प्रशासन ने भारी सुरक्षा व्यवस्था की है। प्रत्येक मतदान केंद्र पर सुरक्षा बल तैनात किए गए हैं। संवेदनशील और अति संवेदनशील बूथों पर अतिरिक्त सुरक्षा बल तैनात किए गए हैं। इसके अलावा, ड्रोन और सीसीटीवी कैमरों के जरिए निगरानी की जा रही है।
लोकतंत्र के प्रति बढ़ती जागरूकता
केदारनाथ क्षेत्र के मतदाताओं में लोकतंत्र के प्रति जागरूकता और जिम्मेदारी का भाव देखा जा रहा है। मतदान केंद्रों पर महिलाएं, बुजुर्ग और युवा वर्ग बड़ी संख्या में पहुंच रहे हैं। कई मतदाता पहली बार वोट डाल रहे हैं, और उनका उत्साह देखते ही बनता है।
प्रत्याशियों की किस्मत आज होगी तय
इस विधानसभा क्षेत्र में 6 प्रत्याशी अपनी किस्मत आजमा रहे हैं। इनमें मुख्य मुकाबला भाजपा, कांग्रेस और निर्दलीय उम्मीदवारों के बीच माना जा रहा है। क्षेत्रीय मुद्दों, विकास कार्यों और स्थानीय समस्याओं को लेकर मतदाता इन प्रत्याशियों का भविष्य तय करेंगे।
नतीजों का बेसब्री से इंतजार
मतदान प्रक्रिया के बाद सभी की नजरें नतीजों पर टिकी रहेंगी। परिणाम न केवल प्रत्याशियों बल्कि क्षेत्र की राजनीति की दिशा तय करेंगे।
केदारनाथ विधानसभा में मतदान का यह उत्सव इस बात का प्रतीक है कि जनता अपनी जिम्मेदारी को समझती है और लोकतंत्र को मजबूत बनाने के लिए आगे आ रही है।