
आज निर्जला एकादशी है. निर्जला एकादशी साल की सभी एकादशियों में श्रेष्ठ मानी गई है. ऐसी मान्यता है कि निर्जला एकादशी पर स्नान और व्रत से सभी सुखों की प्राप्ति होती है और सारे कष्ट दूर हो जाते हैं. निर्जला एकादशी व्रत पर तुलसी के बिना पूजा अधूरी मानी जाती है. इस दिन भगवान विष्णु को कई तरह के भोग लगाए जाते हैं. पूजा में तुलसी पत्ता या तुलसी दल जरूर चढ़ाया जाता है.
निर्जला एकादशी यानि ऐसी एकादशी जिस पर बिना जल ग्रहण किये ही व्रत रखा जाता है और गंगा स्नान किया जाता है. पितरों के निमित्त पूजा अर्चना, पिंडदान आदि किया जाता है. पितरों के निमित्त दान दिया जाता है और जो भी ऐसा करता है उसे अक्षय पुण्य की प्राप्ति होती है. साल भर की 24 एकादशी व्रत का पुण्य प्राप्त होता है.
इस पुण्य को पाने के लिये हरिद्वार में बड़ी संख्या में श्रद्धालु पहुंचे हैं. यह श्रद्धालु मां गंगा के निर्मल जल में स्नान कर पूजा और दान कर रहे हैं. देश के विभिन्न स्थानों से आये श्रद्धालु गंगा स्नान कर अपने आप को तृप्त कर रहे हैं और मानते है कि गंगा स्नान से उनको सुख की अनुभूति होती है. वैसे तो सभी एकादशी का महत्व है. मगर यह माना जाता है निर्जला एकादशी का महत्व बहुत ज्यादा है. इस पर निर्जल रहकर व्रत करना और गंगा स्नान करने पर असीम पुण्य की प्राप्ति होती है. स्नान को ध्यान में रखते हुए जिला प्रशासन द्वारा सुरक्षा के व्यापक प्रबंध किए गए हैं. गुरुवार को गंगा दशहरा का स्नान था और उसमें करीब 20 लाख श्रद्धालुओं ने गंगा स्नान किया था.
निर्जला एकादशी स्नान के लिए बड़ी संख्या में श्रद्धालु हरिद्वार पहुचे हुए हैं. बड़ी संख्या में तीर्थयात्री निर्जला एकादशी पर गंगा स्नान करने और पितरों के के लिए पूजा करने के लिये आये हैं. सुबह से श्रद्धालुओं के स्नान का जो सिलसिला शुरू हुआ है जो निरंतर जारी है. श्रद्धालुगण का कहना है कि गंगा स्नान करके उनको सुख की अनुभूति हुई है.