
उत्तराखंड सरकार प्रदेश की अर्थव्यवस्था को बढ़ाने के लिए बेहतर नीतियों के साथ ही उत्पादन में वृद्धि पर जोर दे रही है. ताकि बड़ी संख्या में रोजगार सृजन के साथ ही निवेश को प्रोत्साहित करने के लिए डोमेस्टिक डिमांड का दायरा बढ़ाया जा सके. हालांकि, करीब ढाई साल पहले राज्य सरकार ने विदेशी कंपनी मैकिंजे के साथ एमओयू साइन किया था, जिसका कार्यकाल 4 जून को समाप्त हो चुका है. मैकिंजे का कार्यकाल समाप्त होने के बाद प्रदेश की अर्थव्यवस्था को बढ़ाए जाने को लेकर सीएम धामी की अध्यक्षता में सात सदस्यीय रणनीतिक सलाहकार समिति का गठन किया गया है.
नियोजन विभाग के प्रमुख सचिव आर मीनाक्षी सुंदरम ने रणनीतिक सलाहकार समिति के गठन को आदेश जारी कर दिए हैं. जारी आदेश के अनुसार, प्रदेश की अर्थव्यवस्था के तहत अधिक से अधिक श्रम-योजन कर उत्पादन में वृद्धि करने, बचत और निवेश को बढ़ावा देने के साथ ही घरेलू मांग का दायरा विस्तारित करते हुए प्रदेश में विकास की गति को बढावा देने के लिए काम किया जाएगा. प्रदेश की मूलभूत परिस्थितियां, औद्योगिक, कृषि एवं बागवानी, स्वास्थ्य, शिक्षा, पर्यटन, सेवा समेत अन्य क्षेत्रों में कार्य करने के लिए पर्याप्त संख्या में दक्ष कार्यबल (Skilled Workforce) की उपलब्धता, बेहतर अवस्थापना सुविधाएं, नवाचारों में गति लाने के उद्देश्य से समिति का गठन किया गया है. रणनीतिक सलाहकार समिति गठित करने के लिए राज्यपाल ने मंजूरी दे दी है.
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की अध्यक्षता में गठित रणनीतिक सलाहकार समिति में मुख्य सचिव को पदेन सदस्य, नियोजन प्रमुख सचिव को पदेन सदस्य, रिटायर्ड आईएएस इन्दु कुमार पाण्डेय को सदस्य, रिटायर्ड आईएएस डॉ. राकेश कुमार को सदस्य, सामाजिक कार्यकर्ता मनु गौड़ को सदस्य और सेतु आयोग के सीईओ को पदेन सदस्य सचिव नामित किया गया है. इस समिति में मुख्यमंत्री के मंजूरी के आधार पर समय-समय पर तीन से अधिक अन्य सदस्य नामित किए जा सकेंगे. मुख्य सचिव की ओर से विभागीय अपर मुख्य सचिव/ प्रमुख सचिव/ सचिव और विभागाध्यक्षों को विशेष आमंत्रित सदस्य के रूप में विशेषज्ञ समिति की बैठक में प्रतिभाग के लिए बुलाया जा सकता है.
विशेषज्ञ समिति के प्रमुख कार्य, दायित्व और जिम्मेदारियों का भी निर्धारण किया गया है. उत्तराखंड के सकल घरेलू उत्पाद के वृद्धि दर को गति प्रदान करने के लिए दूरगामी प्रभाव वाली योजनाओं और परियोजनाओं का गठन करना है. प्रदेश में संचालित योजनाओं, परियोजनाओं को चिह्नित कर उनकी मॉनिटरिंग और विभागों से समन्वय बनाना है. कृषि, बागवानी और सहवर्गीय क्षेत्रों स्वास्थ्य, शिक्षा, पर्यटन, आयुष एवं अवस्थापना सुविधाओं में आगामी दो सालों में बेहतर सुधार के लिए वांछित अन्तःक्षेप चिह्नित (desired intervention identified) करते हुए आगे की कार्रवाई की जाएगी.