
गत रात्रि करीब 12 बजे यमुना नदी का जलस्तर अचानक बढ़ गया, जिसके परिणामस्वरूप श्री यमुनोत्री धाम में नदी के किनारे बने शौचालय बह गए। इसके अलावा, पुरोहित सभा के कक्ष आंशिक रूप से क्षतिग्रस्त हो गए, जिससे वहां के लोगों को काफी कठिनाइयों का सामना करना पड़ा। मंदिर समिति का जनरेटर और स्ट्रीट लाइट भी क्षतिग्रस्त हो गए, जिससे इलाके में बिजली की समस्या उत्पन्न हो गई। मंदिर प्रांगण के निचले क्षेत्र में भी मलवा आ गया, जिससे मंदिर की पवित्रता और सौंदर्य को नुकसान पहुंचा।
जानकीचट्टी राम मंदिर में पर्यटन विभाग का पंजीकरण केंद्र भी इस आपदा का शिकार हो गया। यहां के पंजीकरण केंद्र के क्षतिग्रस्त होने से यात्रियों और पर्यटकों को कई समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है। इसके अलावा, जानकीचट्टी की बड़ी पार्किंग में पानी और मलवा आ गया, जिससे 1-2 मोटर साइकिल और 1-2 खच्चर बह गए। 2 मैक्स गाड़ियां भी मलवे में फंस गईं, जिससे पार्किंग क्षेत्र में अव्यवस्था फैल गई।
इस विपत्ति के दौरान पुलिस, एसडीआरएफ, और प्रशासन के कर्मियों ने तेजी से कार्रवाई की। जानकीचट्टी में नदी के तटवर्ती क्षेत्र के भवनों को रात में ही खाली करवाया गया और प्रभावित लोगों को सुरक्षित स्थान पर पहुंचाया गया। इसके साथ ही, राना चट्टी, हनुमान चट्टी, स्याना चट्टी, पाली गाड़ आदि क्षेत्रों में पुलिस संचार माध्यम से लोगों को रात में ही सतर्क कर दिया गया था, जिससे किसी भी प्रकार की जनहानि नहीं हुई।
वर्तमान में, यमुना नदी का जलस्तर सामान्य हो गया है, लेकिन जिला प्रशासन की टीम द्वारा नुकसान का जायजा लिया जा रहा है। इस आपदा के कारण हुए नुकसान की भरपाई करने के लिए प्रशासन द्वारा आवश्यक कदम उठाए जा रहे हैं। स्थानीय लोग भी प्रशासन के साथ मिलकर स्थिति को सामान्य करने की कोशिश कर रहे हैं।
यह प्राकृतिक आपदा हमें याद दिलाती है कि हम सभी को पर्यावरण के प्रति सजग रहना चाहिए और प्राकृतिक संसाधनों का सही उपयोग करना चाहिए। हमें यह भी समझना चाहिए कि प्राकृतिक आपदाओं का सामना करने के लिए हमें हमेशा तैयार रहना चाहिए और प्रशासन के निर्देशों का पालन करना चाहिए।
हम उम्मीद करते हैं कि प्रशासन जल्द ही इस क्षेत्र में सामान्य स्थिति बहाल करेगा और लोगों की समस्याओं का समाधान करेगा।