
देहरादून: अखिल भारतीय करणी सेना ने उत्तराखंड में अपने राजनीतिक अभियान को गति देते हुए कैंट विधानसभा में बूथ स्तर के कार्यकर्ताओं के साथ संवाद किया। संगठन के राष्ट्रीय महामंत्री शुभम सिंह ठाकुर ने आज कोलागढ़ और पंडितवाड़ी में कार्यकर्ताओं से मुलाकात की और विधानसभा चुनाव को लेकर महत्वपूर्ण दिशा-निर्देश दिए। उन्होंने बताया कि करणी सेना प्रदेश की दो विधानसभा सीटों पर चुनाव लड़ेगी और इसके चलते सभी प्रमुख राजनीतिक दलों को कड़ी चुनौती मिल सकती है।
जनता के बीच बढ़ रही पकड़
शुभम सिंह ठाकुर ने मीडिया को संबोधित करते हुए कहा कि करणी सेना के कार्यकर्ता पहले से ही जमीनी स्तर पर सक्रिय हो चुके हैं। वे वार्डों में जाकर आम लोगों से मिल रहे हैं, उनकी समस्याओं को समझ रहे हैं और समाधान की दिशा में कार्य कर रहे हैं। संगठन की यह रणनीति जनता को काफी पसंद आ रही है और इसके चलते पार्टी का प्रभाव लगातार बढ़ रहा है।
जागरूकता अभियान में जुटे कार्यकर्ता
इस दौरान करणी सेना के युवा मोर्चा प्रदेश अध्यक्ष रवि सजवान, महिला मोर्चा अध्यक्ष कमला बिष्ट और सरिता कोठियाल के नेतृत्व में कैंट विधानसभा क्षेत्र में जनजागरण अभियान चलाया गया। इस अभियान के तहत कार्यकर्ताओं ने घर-घर जाकर लोगों से संवाद किया और उन्हें करणी सेना की विचारधारा से जुड़ने की अपील की।
करणी सेना के कार्यकर्ताओं का मानना है कि मौजूदा राजनीतिक दल जनता की समस्याओं को गंभीरता से नहीं ले रहे हैं। इसलिए संगठन ने फैसला किया है कि वे न केवल चुनाव लड़ेंगे बल्कि जनता के मुद्दों को भी प्रमुखता से उठाएंगे। इस दौरान पार्टी कार्यकर्ताओं ने जनता को भरोसा दिलाया कि करणी सेना जनहित के मुद्दों पर मजबूती से खड़ी रहेगी और सभी समस्याओं का समाधान करने की दिशा में निरंतर प्रयासरत रहेगी।
सक्रिय रूप से शामिल कार्यकर्ता
इस अभियान में बड़ी संख्या में कार्यकर्ताओं ने हिस्सा लिया। इनमें मिहिर मिश्रा, मयंक चौहान, सुधांशु गुप्ता, सुशांत थापा, राघव तोमर, आशीष कुमार, आशीष रावत, कार्तिक चौहान, मन्नू चौहान, राहुल वर्मा, मुकुल बहल, राहुल राजपूत, सुनील नेगी, सत्यम राठौर, कार्तिक, आयुष छेत्री, शुभम बारी, संगीता मौर्या, सविता पुंडीर, मीना मौर्या, सोनिका डोगरा और मंजू सहित कई अन्य कार्यकर्ता सक्रिय रूप से शामिल रहे।
राजनीतिक समीकरणों में बदलाव संभव
करणी सेना के इस निर्णय से उत्तराखंड के राजनीतिक समीकरणों में बदलाव होने की संभावना है। पार्टी ने दो विधानसभा सीटों पर चुनाव लड़ने की घोषणा कर दी है, जिससे अन्य दलों की चिंता बढ़ गई है। करणी सेना के इस कदम से राज्य में जातीय और क्षेत्रीय राजनीति को भी नया मोड़ मिल सकता है।
आगामी विधानसभा चुनावों में करणी सेना की भूमिका क्या होगी, यह तो समय ही बताएगा, लेकिन फिलहाल संगठन की सक्रियता और जनता के बीच उसकी बढ़ती पकड़ ने अन्य राजनीतिक दलों को सतर्क कर दिया है।